Friday, 16 June 2017

गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा।
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।। भगवद्गीता 15.13

पृथ्वी में प्रवेश करके मैं अपनी शक्ति से समस्त प्राणियों को धारण करता हूं और रसात्मक सोम बनकर सभी औषधियों का पोषण करता हूँ।

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