Sunday 11 June 2017

वार्ता च कौतुकवती विमला च विद्या
लोकोत्तरः परिमलः कुरङ्गनाभेः ।
तैलस्य बिन्दुरिव वारिणि दुर्निवारम्
एतत् त्रयं प्रसरति स्वयमेव लोके ॥
कुतुहल उत्पन्न करनेवाले समाचार, विमला विद्या, और हिरन की नाभि में से आनेवाली लोकोत्तर परिमल (कस्तुरी की सुवास) – इन तीनों का, पानी में गिरे हुए तेलबिंदु की तरह सहज प्रसार होता है ।

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