शीलं प्रधानं पुरुषे तद् यस्येह प्रणश्यति। न तस्य जीवितेनार्थो न धनेन न बन्धुभि:॥
पुरुष मे शील ही प्रधान है, जिसका वह नष्ट हो जाता है, इस संसार मे उसका जीवन, धन और बन्धुओंका कोई महत्त्व नही है ।
No comments:
Post a Comment