Saturday 1 July 2017

शीलं प्रधानं पुरुषे तद्  यस्येह प्रणश्यति।
न तस्य जीवितेनार्थो न धनेन न बन्धुभि:॥

पुरुष मे शील ही प्रधान है, जिसका वह नष्ट हो जाता है, इस संसार मे उसका जीवन, धन और बन्धुओंका कोई महत्त्व नही है ।

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