Wednesday 19 July 2017

वित्तं देहि गुणान्वितेषु मतिमन्नान्यत्र देहि क्वचित्
प्राप्तं वारिनिघेर्जलं घनमुखे माधुर्युक्तं सदा।
जीवान्स्थावरजङ्गमांश्चसकलान् संजीव्य भूमण्डलं
भूयः पश्य तदेव कोटिगुणितं गच्छन्तमम्भोनिधिम्।।

हे बुद्धिमान् लोगों ! गुणी पुरुषों को ही धन दो, गुणहीनों को नहीं। देखो समुद्र का खारा जल बादल के मुख को प्राप्त होकर मधुर हो जाता है, और फिर पृथ्वीपर गिरकर जड़ और चेतन सभी को जीवन प्रदान करके अनेक गुणा होकर पुनः समुद्र को प्राप्त हो जाता है।

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