Wednesday 6 September 2017

प्रातराद्यविचारश्च रात्रेरन्तिमचिन्तनम्।
करोति निश्चतमस्मच्चरित्रं कीदृशम्भवेत्।।

सुबह का पहला विचार और रात्रि का अंतिम चिंतन, हमारा चरित्र निश्चित करता है।

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