वृश्र्चिकस्य विषं पुच्छं मक्षिकायाः विषम् शिरः ।
तक्षकस्य विषं दन्तं सर्वांगम् दुर्जनस्य च ।।
बिच्छूका जहर उसकी पूंछमें होता है, भौंरे का जहर उसके सर में होता है, तक्षक साँप का जहर उसके दांतों में होता है मगर दुष्ट आदमी के हरेक अंग जहर से भरे हुए होते हैं ।
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