असज्जनः सज्जनसंगि संगात्
करोति दुःसाध्यमपीह साध्यम् ।
पुष्पाश्रयात् शम्भुशिरोधिरूढा
पिपीलिका चुम्बति चन्द्रबिम्बम् ॥
सज्जन के सहवास से असज्जन दुःष्कर कार्य को भी साध्य बनाता है । पुष्प का आधार लेकर शंकर के मस्तक पर की चींटी चंद्रबिंब का चुंबन करती है।
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