प्राणान् न हिंस्यात् न पिबेच्च मद्यं
वदेच्च सत्यं न हरेत्परार्थम् ।
परस्य भार्यां मनसाऽपि नेच्छेत्
स्वर्गं यदीच्छेत् गृहवत् प्रवेष्टुम् ।।
यदि स्वर्ग में घर की तरह सरलता से प्रयास करने की इच्छा हो, तो प्राण की हिंसा नहीं करना, मद्यपान नहीं करना, सत्य बोलना, पराया धन न लेना, और परायी स्त्री का मन से भी विचार न करना ।
No comments:
Post a Comment