Sunday 21 January 2018

तृणादपि लघुस्तूलः तूलादपि च याचकः ।
वायुना किं न नीतोऽसौ मामयं प्राथयेदिति ॥

तिन्के से हल्का रु है, और रु से भी हल्का याचक है । पर, याचक को वायु क्यों नहीं खींच जाता ? (इस लिये कि उसे डर है) कहीं मुज से भी माग लेगा तो !

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