अबुद्धिमाश्रितानां तु क्षन्तव्यमपराधिनाम् । न हि सर्वत्र पाण्डित्यं सुलभं पुरुषेण वै ॥
अनजाने में जिन्होंने अपराध किया हो उनका अपराध क्षमा किया जाना चाहिए, क्योंकि हर मौके या स्थान पर समझदारी मनुष्य का साथ दे जाए ऐसा हो नहीं पाता है । भूल हो जाना असामान्य नहीं, अतः भूलवश हो गये अनुचित कार्य को क्षम्य माना जाना चाहिए ।
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