Tuesday, 6 March 2018

अनित्यानि शरीराणि, विभवो नैव शाश्वत: । नित्यं सन्निहितो मृत्यु:, कर्तव्यो धर्मसञ्चय: ।।

हमारा शरीर सदा रहने वाला नहीं है, धन भी हमेशा टिका नहीं रहता और मृत्यु सदा साथ रहती है, अत: मनुष्य को चाहिए कि वह धर्म के कार्यों को करता रहे| न जाने जीवन कब समाप्त हो जाए ।

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