Monday, 19 June 2017

शरीरस्य गुणानां च दूरमत्यन्तमन्तरम् ।
शरीरं क्षणविध्वंसि कल्पान्तस्थायिनो गुणाः॥

(व्यक्तीके) शरीर (की सुन्दरता) और गुणों मे बहुत अंतर है।  शरीर का क्षण मे नाश होता है, लेकिन गुणों को कल्पांत तक स्मरण किया जाता है।

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