Monday 19 June 2017

शरदि न वर्षति गर्जति
वर्षति वर्षासु नि:स्वनो मेघ:।
नीचो वदति न कुरुते
न वदति सुजन: करोत्येव॥

शरद ऋतुमें बादल केवल गरजते हैं, बरसते नहीं; वर्षा ऋतु के मेघ चुपचाप (बिना गरजे) वर्षा करते हैं। दुष्ट लोग कहते हैं पर करते नहीं, सज्जन कार्य करते हैं पर कहते नहीं ।

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