Monday 19 June 2017

दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः |
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ||

दुष्टा पत्नी , कुटिल स्वार्थी दुष्ट स्वभाववाले मित्र , और अपमानजनक शब्दों में अपने स्वामी से बात करनेवाले नौकर के साथ रहना उतना ही कष्टदायी है जितना ऐसे घरमे निवास करना जहाँ साँपो का समूह रहता हो |

ऐसे स्थानपर रहना स्वयं अपनी मृत्यु को निमंत्रण देना है |

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