रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता । क्रोधो नि:सत्यता द्यूतमेतन्मित्रस्य दूषणम् ॥
गुप्तवार्ता को अन्यत्र प्रकट करना, धनादिक का मांगना, क्रूरता रखना, चित्त की चंचलता, क्रोध रखना, द्यूत खेलना ये सब मित्रता के दूषणरूप है ।
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