Wednesday 14 June 2017

रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता ।
क्रोधो नि:सत्यता द्यूतमेतन्मित्रस्य दूषणम् ॥

गुप्तवार्ता को अन्यत्र प्रकट करना, धनादिक का मांगना, क्रूरता रखना, चित्त की चंचलता, क्रोध रखना, द्यूत खेलना ये सब मित्रता के दूषणरूप है ।

No comments:

Post a Comment