रोहते सायकैर्विद्धं वनं परशुना हतम् । वाचा दुरुक्तं बीभत्सं न सम्रोहति वाक्क्षतम् ॥
बाणोंसे बींधा हुआ तथा फरसेसे काटा हुआ वन भी पनप जाता है, किन्तु कटु वचन कहकर वाणीसे किया हुआ भयानक घाव नही भरता ॥
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