संग्रहो नातिकर्तव्यो दु:खभागन्यथा भवेत् । द्वासन्ते द्विरेफा हि लुब्धकैर्मधुसंग्रहात् ॥
अधिक संग्रह नही करना चाहिये अन्यथा दु:ख का भागी होना पडता है। मधु संग्रह करने के कारण मधुमख्खी बहेलियों द्वारा उडा दी जाती है।
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