शरीरस्य गुणानां च दूरमत्यन्तमन्तरम। शरीरं क्षणविध्वंसि कल्पान्तस्थायिनों गुणा:।।
शरीर और दयादि गुणों में बड़ा अंतर है। शरीर तो क्षणभंगुर है और गुण कल्प के अंत तक रहने वाले हैं।
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