Saturday 29 July 2017

शरीरस्य गुणानां च दूरमत्यन्तमन्तरम।
शरीरं क्षणविध्वंसि कल्पान्तस्थायिनों गुणा:।।

शरीर और दयादि गुणों में बड़ा अंतर है। शरीर तो क्षणभंगुर है और गुण कल्प के अंत तक रहने वाले हैं।

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