स्यात् पातकम् तदपि हंत्युरूगायवादः -श्रीमद्भागवत ६-३-२६ ।
इस दुनिया में ऐसा पाप पैदा ही नहीं हुवा, जो भगवन्नाम स्मरण से नष्ट न हो ।
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