यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवाणि निषेवते। ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।
जो निश्चित को छोड़ कर अनिश्चित पदार्थ का आसरा करता है, उसके निश्चित पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और अनिश्चित भी जाता रहता है।
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