Monday 17 July 2017

चिन्ताज्वरो मनुष्याणां क्षुधां निद्रां बलं हरेत्।
रूपमुत्साहबुध्दिं श्रीं जीवितं च न संशयः ॥

“चिंता” स्वरुप ज्वर (बुखार) भूख, नींद, बल, सौंदर्य, उत्साह, बुद्धि, समृद्धि और स्वयं जीवन को भी हर लेताहै ।

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