चिन्ताज्वरो मनुष्याणां क्षुधां निद्रां बलं हरेत्। रूपमुत्साहबुध्दिं श्रीं जीवितं च न संशयः ॥
“चिंता” स्वरुप ज्वर (बुखार) भूख, नींद, बल, सौंदर्य, उत्साह, बुद्धि, समृद्धि और स्वयं जीवन को भी हर लेताहै ।
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