ज्ञानं तु द्विविधं प्रोक्तं शाब्दिकं प्रथमं स्मृतम् । अनुभवाख्यं द्वितीयं तुं ज्ञानं तदुर्लभं नृप ॥
हे राजा ! ज्ञान दो प्रकार के होते हैं; एक तो स्मृतिजन्य शाब्दिक ज्ञान, और दूसरा अनुभवजन्य ज्ञान जो अत्यंत दुर्लभ है ।
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