असंभव हेममृगस्य जन्म ,
तथापि रामो लुलुभे मृगाय।
प्रायः समापन्नविपत्तिकाले,
धियोsपि पुंसां मलिना भवन्ति।।
सोने के मृग का होना असंभव है, तब भी रामचंद्रजी सोने के मृग के पीछे लुभा गये, इसलिये विपत्तिकाल आने पर महापुरुषों की बुद्धियाँ भी बहुधा मलिन हो जाती है।
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