Wednesday 19 July 2017

वृक्ष: क्षीणफलं त्यजन्ति विहगाः ,शुष्कं सरः सारसाः
निर्द्रव्यं पुरुषं त्यजन्ति गणिकाः ,भ्रष्टं नृपं मन्त्रिणः ।
पुष्पं पर्युषितं त्यजन्ति मधुपाः ,दग्धं वनान्तं मृगाः |
सर्वः कार्यवशात् जनोऽभिरमते ,तत् कस्य को वल्लभः ॥

   बिना फल के वृक्ष का पंछी त्याग करते हैं; सारस सूखे सरोवर का त्याग कर देते हैं ,  गणिका निर्द्रव्य पुरुष का, मंत्री भ्रष्ट राजा का, भौंरे रसहीन पुष्पों का, और हिरन जलते वन का त्याग करते हैं ।
      इस संसार में सभी एकदूसरे को स्वार्थवश ही (किसी न  किसी) वजह से प्यार करते हैं अन्यथा कौन किसे प्रिय है ?

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