दानेन प्राप्यते स्वर्गो दानेन सुखमश्नुते । इहामुत्र च दानेन पूज्यो भवति मानवः ॥
दान से स्वर्ग प्राप्त होता है, दान से सुख भोग्य बनते हैं । यहाँ और परलोक में इन्सान दान से पूज्य बनता है ।
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