शतेषु जायते शूरः सहस्त्रेषु च पण्डितः । वक्ता दशसहस्त्रेषु दाता भवति वा न वा ॥
शूर सौ में एक, पण्डित हजार में एक और वक्ता दसहजार में एक हो सकता है; पर दाता तो कोई मुश्किल से ही मिलता है ।
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