Monday 17 July 2017

दाता नीचोऽपि सेव्यः स्यान्निष्फलो न महानपि ।
जलार्थी वारिधि त्यक्त्वा पश्य कूपं निषेवते ॥

दाता नीच हो (छोटा हो) तो भी उसका आश्रय लेना, पर जो फलरहित है, वह बडा हो (महान हो), फिर भी उसका आश्रय नहि लेना । देखो ! प्यासा, सागर का त्याग करके कूए के पास ही जाता है ।

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