Friday 14 July 2017

ब्रह्मा येन कुलालवन्नियमितो ब्रह्माण्डभाण्डोदरे
विष्णुर्येन दशावतारगहने क्षिप्तो महासङ्कटे ।
रुद्रो येन कपालपाणिपुटके भिक्षाटनं कारितः
सूर्यो भ्राम्यति नित्यमेव गगने, तस्मै नमः कर्मणे ॥

जिस कर्म ने विधाता को ब्रह्माण्डरूपी पात्र के अन्दर कुम्हार की तरह सृष्टि कार्य हेतु नियोजित किया, विष्णु को दशावतार रूपी कष्टतम कार्य में नियुक्त किया, शंकर को हाथ में खप्पर लेकर भिक्षाटन कराया और सूर्य को आकाश में निरन्तर भ्रमण कराता है, उस कर्म को नमस्कार है ।

No comments:

Post a Comment