शुन: पुच्छमिव व्यर्थं जीवितं विद्यया विना । न गुह्यगोपने शक्तं न च दंशनिवारणे ॥
विद्या के बिना मनुष्य-जीवन कुत्ते की पूंछ के समान व्यर्थ है। जैसे कुत्ते की पूंछ से न तो उसके गुप्त अंग छिपते है न वह मच्छरों को काटने से रोक सकती है ।
No comments:
Post a Comment