Sunday 9 July 2017

यथा नमन्ति पाथोभिः पाथोदाः फलदाः फलैः ।
नमन्ति विनयेनैव तद्वदुत्तमपुरुषाः ॥

जैसे फल देनेवाले वृक्ष फल से झुकते हैं, वैसे उत्तम पुरुष विनय से झुकते हैं ।

No comments:

Post a Comment