सुमहान्त्यपि शास्राणि धारयन्तो बहुश्रुतः। छेत्तारः संशयानां च क्लिश्यन्ते लोभमोहितः।।
अच्छे बड़े- बड़े शास्रों को पढ़ने तथा सुनने वाले और संदेहों को दूर करने वाले भी लोभ के वश में पड़ कर दुख भोगते हैं।
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