Wednesday 6 September 2017

सोपानानि तु चत्वारि धर्मस्योपासनाकृते
गीता गङ्गा च गावश्च गायत्रीमन्त्ररेव च।। 1।।
शुद्धा मतिस्तु गीतातो गङ्गातस्स्यात् प्रभौ रति:।
गायत्र्या प्रगतिस्स्याद्वै गवा स्याज्जीवने गति:।।2।।

गीता गंगा गाय और गायत्री सनातन धर्मोपासना के चार पाये हैं।
गीता से शुध्ध मति,गंगा से प्रभुमें रति,गाय से जीवनमें गति औ गायत्री से प्रगति।

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