Saturday 14 October 2017

असंयतात्मना  योगो दुष्प्राप्त इति मे मतिः।
वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः।।

जिसका मन उच्छृंखल है, उसके लिए आत्म-साक्षात्कार कठिन कार्य होता है, किन्तु जिसका मन संयमित है और जो समुचित उपाय करता है उसकी सफलता ध्रुव है।

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