Tuesday 10 October 2017

धनवृद्धा बलवृद्धा, आयुवृद्धास्तथैव च।
ते सर्वेऽपि ज्ञानवृद्धाश्च, किंकिरा शिष्य किंकिरा।।
    इस संसार में धनवृद्ध (बहुत धनवान ), बलवृद्ध (बहुत बलवान , आयुवृद्ध ( बहुत अधिक आयु ) वाले की अपेक्षा ज्ञानवृद्ध ( शास्त्रो का ज्ञान ) को अधिक महत्व दिया गया है । क्योकि धन, बल, आयु को एक ना एक दिन नष्ट होना है , किन्तु ज्ञान कभी नष्ट नहीं होता। यह जन्म जन्मान्तर तक जीव का साथ देता है । इस कारण ज्ञानवृद्ध का सर्वाधिक महत्व है।

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