निःस्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामी मण्डनप्रियः।
नाविदग्धःप्रियं ब्रूयात् स्फुटवक्ता न वञ्चकः।।
व्यक्ति की पहचान के विषय में चाणक्य ने कहा है कि जो मनुष्य अधिकार के पीछे भागनेवाला होता है, वह लोभी एवं लालची होता है। रूप सौन्दर्य एवं श्रृंगार को महत्व देनेवाले मनुष्य का स्वभाव कामुक होता है। मूर्ख व्यक्ति स्वभाववश कभी मृदुभाषी नहीं होते। इसी प्रकार जो व्यक्ति स्पष्टवक्ता एवं सत्यभाषी होते हैं, उनमें मक्कारी, धूर्तता और धोखेबाजी का लेशमात्र भी नहीं होता।
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