Monday 29 May 2017

विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्ये कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।
विद्वान् व्यक्ति और राजा अतुलनीय है, राजा को तो अपने राज्यमें ही सम्मान मिलता है पर विद्वान् व्यक्ति का सर्वत्र सन्मान होता है।
Intelligence and kingdom can never be compared. A king is respected in his own land whereas a wise man is respected everywhere.

No comments:

Post a Comment