Sunday 25 June 2017

राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्रपत्नी तथैव च।
पत्नीमाता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृताः।।

राजा की पत्नी, गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी, पत्नी की माता तथा स्वयं की माता को मनुष्य की पाँच माताएँ कहा है। वे कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को इनका यथोचित आदर सम्मान करना चाहिए। इनके प्रति कुदृष्टि का भाव रखकर वह घोर नरक का भागी बनता है। अतः इनका न तो कभी निरादर करना चाहिए और न ही इन पर बुरी दृष्टि डालनी चाहिए।

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