त्रयः कालकृताः पाशाः शक्यन्ते न निवर्तितुम्। विवाहो जन्म मरणं यथा यत्र च येन च॥ विवाह, जन्म, और मरण ये कालांतर्गत है,ये जैसे, जहाँ, और जिसके साथ होने होते हैं, वैसे हि होते हैं ।।
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